Friday, October 18, 2013

जो मिल गई हैं निगाहें कभी निगाहों से



जो मिल गई हैं निगाहें कभी निगाहों से

7


जो मिल गई हैं निगाहें कभी निगाहों से

गुज़र गई है मोहब्बत हसीन राहों से



चराग़ जल के अगर बुझ गया तो क्या होगा

मुझे न देख मोहब्बत भरी निगाहों से



बला-कशों की अँधेरी गली को क्या जाने

वो ज़िंदगी जो गुज़रती है शाह-राहों से

for complete ghazal visit

http://www.psmalik.com/2013-06-11-19-06-36/18-shayari/162-2013-10-18-08-20-17

रखना है तो फूलों को तू रख ले निगाहों में


रखना है तो फूलों को तू रख ले निगाहों में



रखना है तो फूलों को तू रख ले निगाहों में

ख़ुशबू तो मुसाफ़िर है खो जाएगी राहों में



क्यूँ मेरी मोहब्बत से बरहम हो ज़मीं वालो

इक और गुनह रख लो दुनिया के गुनाहों में



कैफ़ियत-ए-मय दिल का दरमाँ न हुई लेकिन

रंगीं तो रही दुनिया कुछ देर निगाहों में

for complete ghazal plz visit

http://www.psmalik.com/2013-06-11-19-06-36/18-shayari/160-2013-10-18-08-01-07

झुका-झुका के निगाहें मिलाए जाते हैं




झुका-झुका के निगाहें मिलाए जाते हैं


झुका-झुका के निगाहें मिलाए जाते हैं

बचा-बचा के निशाने लगाए जाते हैं

हुज़ूर जब से मेरे दिल पे छाए जाते हैं

ये हाल है कि क़दम डगमगाए जाते हैं



हमें तो आपकी इस अदा ने लूट लिया

नज़र उठाते नहीं मुस्कुराए जाते हैं

for complete ghazal plz visit

http://www.psmalik.com/2013-06-11-19-06-36/18-shayari/161-2013-10-18-08-11-04

Friday, October 11, 2013

Lite Blogging by PS Malik


This is an area of just light mood blogging. Write anything, anytime, anywhere. No logic, no reason, no limits are required to write over here. the need is just to write.

Whoever reads it should do so without using mind and reason.
http://www.psmalik.com/lite-blogging