Thursday, May 16, 2013
Wednesday, May 15, 2013
Tuesday, May 14, 2013
फूलों की तुम हयात हो तारों का नूर हो
फूलों की तुम हयात
हो तारों का नूर हो
फूलों की तुम हयात
हो तारों का नूर हो
रहती हो मेरे दिल में
मगर दूर-दूर हो
ना तुम ख़ुदा हो, ना हो फरिश्ता, ना हूर हो
लेकिन मैँ खिंचा जाता
हूँ कुछ तो ज़रूर हो
हूरें फलक़ से आती
हैं दीदार को उसके
जब हुस्न ऐसा पास हो
क्यों ना गुरूर हो
सारा शहर तबाह है उल्फ़त
में तुम्हारी
तुम क़त्ल भी करती
हो फिर बेक़ुसूर हो
लिख्खेगा ग़ज़ल ताजमहल-सी
कोई 'सिराज'
थोड़ी-सी इनायत जो
आपकी हुज़ूर हो
à सिराज फ़ैसल ख़ान (एक होनहार नौजवान प्रतिभा हैं)
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