जो मिल गई हैं निगाहें कभी निगाहों से
जो मिल गई हैं निगाहें कभी निगाहों से
गुज़र गई है मोहब्बत हसीन राहों से
चराग़ जल के अगर बुझ गया तो क्या होगा
मुझे न देख मोहब्बत भरी निगाहों से
बला-कशों की अँधेरी गली को क्या जाने
वो ज़िंदगी जो गुज़रती है शाह-राहों से
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