रखना है तो फूलों को तू रख ले निगाहों में
ख़ुशबू तो मुसाफ़िर है खो जाएगी राहों में
क्यूँ मेरी मोहब्बत से बरहम हो ज़मीं वालो
इक और गुनह रख लो दुनिया के गुनाहों में
कैफ़ियत-ए-मय दिल का दरमाँ न हुई लेकिन
रंगीं तो रही दुनिया कुछ देर निगाहों में
for complete ghazal plz visit
http://www.psmalik.com/2013-06-11-19-06-36/18-shayari/160-2013-10-18-08-01-07
No comments:
Post a Comment