Saturday, June 15, 2013

ऐ फरोगे हुस्न तेरी दिलकशी ज़िन्दा रहे

ऐ फरोगे हुस्न तेरी दिलकशी ज़िन्दा रहे

ऐ फरोगे हुस्न तेरी दिलकशी ज़िन्दा रहे
ये अक़ीदत की फिजा ये बन्दगी ज़िन्दा रहे
जब उजालों की चमक में तीरगी ढलने लगी
चाँद चमका ताकि उस की चांदनी ज़िन्दा रहे
बेवफा वह क्या हुए चाहत न जीने की रही
फिर भी जीता इसलिए हूँ ज़िंदगी ज़िन्दा रहे
इस पूरी गज़ल और ऐसी ही अन्य रोचक एवँ महत्त्वपूर्ण जानकारी के लिए इस लिंक को क्लिक करें

No comments:

Post a Comment