हस्तिनापुर के मल्ल
राजनीति और पहलवानी में सार्थक समानताओं का दौर आजकल दिल्ली में देखने को मिल
रहा है। वैसे तो पहलवानी के लिए अलग स्थानों पर रिंग (पुराना नाम अखाड़ा) की अलग
व्यवस्था की जाती है परन्तु आजकल इसे दिल्ली की गलियों, नुक्कड़ों और चौराहों पर
देखा जा सकता है। क्योंकि ये मल्ल (नया नाम पहलवान) सभी व्यवस्थाओं को बदलने का
वादा करते हैं इसलिये इन्होंने प्रहार करने का तरीका भी बदल दिया है। पहले शरीर की
ताकत को परखा जाता था परन्तु इस बार दिमाग़ की पैंतरेबाजी और ज़बान की ताकत पर ज्यादा
भरोसा किया जा रहा है।
पहलवानों का एक समूह इस हस्तिनापुर नगरी में आ गया बताते है। उनकी खूबी है कि
किसी को भी गाली दे देते हैं। उनका दृष्टिकोण बिल्कुल नयी किस्म का है। उन्हें
लोगबाग साँप और बिच्छु नजर आते हैं। सुना है कुछ लोगों उन्हें बताया कि वे तो लोगों
को साँप-बिच्छु कह रहे हैं तो उन्होंने उन बताने वालों पर ही हमला बोल दिया। उनमें
से एक नामी पहलवान ने बताने वालों को धोखेबाज और चालबाज बता दिया है।
हरेक नुक्कड़ पर ढोलक बजाई जा रही है। आओ हमारा मल्लयुद्ध देखो। हम विरोधियों
की पुंगी बजा देंगे। दर्शक जमा हो गये। मज़मा लग गया। किसी ने पूछा कि मल्लयुद्ध
में पुंगी कैसे बजाओगे। तो मल्लप्रमुख ने कहा हम उनके वस्त्र फाड़ देंगे। पूछा गया
कि मल्लयुद्ध में दूसरों के कपड़े फाड़ने का नियम नहीं है तो कपड़े क्यों फाड़ोगे? उत्तर मिला कि हम व्यव्स्था
परिवर्तन चाहते हैं। मल्लप्रमुख की भुजाएँ फड़कती हुई दिखाई देती हैं। उसने अपना
मफलर कस कर लपेट लिया है। ऊँचे स्वर में कहता है हम उन सबको जेल भेज देंगे।
दर्शकों में से एक ने पूछा क्यों जेल भेज दोगे। उत्तर दिया जाता है कि हमें
व्यवस्था जो बदलनी है।
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